किसी ने कहा एक शेर पेश कर दो
उस परी के नाम दो लफ्ज केह दो
बेहद ही परेशानी में डाल दिया आप ने जनाब
उस मूरत पर लफ्ज हमें लिखना हो यही है ख़िताब
चंद लफ्जो में कैसे करूँ उसको बयां
उस मुस्कराहट को लफ्जो में पेश करू मैं कैसे यहा
नशीली आँखों की नजाकत को शब्दों की बेडियो में कैसे कैद करूँ?
लहराती जुल्फों से नजर हटें तब जाकर कहिं कलम उठलु
आपकी फरमाइश हमसे पूरी न होगी..
पर खुदा की खिदमत से वो ऐसे ही होगी..
जो मेरे कलम की धार से कभी काबू न होगी
उस परी के नाम दो लफ्ज केह दो
बेहद ही परेशानी में डाल दिया आप ने जनाब
उस मूरत पर लफ्ज हमें लिखना हो यही है ख़िताब
चंद लफ्जो में कैसे करूँ उसको बयां
उस मुस्कराहट को लफ्जो में पेश करू मैं कैसे यहा
नशीली आँखों की नजाकत को शब्दों की बेडियो में कैसे कैद करूँ?
लहराती जुल्फों से नजर हटें तब जाकर कहिं कलम उठलु
आपकी फरमाइश हमसे पूरी न होगी..
पर खुदा की खिदमत से वो ऐसे ही होगी..
जो मेरे कलम की धार से कभी काबू न होगी
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